तूफ़ान के बाद भी राहत से महरूम किसान
चौपरिया गाँव में मई की दैविक आपदा का असर, अब तक नहीं मिली सरकारी मदद
रिपोर्ट: के.एन. साहनी, कुशीनगर
समय: सुबह 9:30 बजे, तापमान 36 डिग्री
कुशीनगर जनपद के पडरौना तहसील अंतर्गत ग्राम सभा चौपरिया में मई माह में आई तेज़ आँधी, ओलावृष्टि और साइक्लोन जैसी दैविक आपदा ने गरीब किसानों के आशियाने छीन लिए। कई घर ढह गए, फसलें बर्बाद हो गईं, और पशुओं के लिए चारा-पानी तक का संकट खड़ा हो गया। लेकिन आज तक पीड़ितों को सरकारी आर्थिक सहायता नहीं मिल सकी है।
प्रशासनिक ढांचे की सुस्त कार्यप्रणाली की पोल खोलती यह घटना स्थानीय व्यवस्था की संवेदनहीनता को उजागर करती है। आपदा के बाद लेखपाल द्वारा गाँव का भौतिक सर्वे किया गया। पीड़ितों के घरों के फोटो, नाम, मोबाइल नंबर संकलित किए गए। रिपोर्ट तहसील को सौंपी भी गई, लेकिन न कोई अधिकारी सुध लेने आया, न ही किसी को सहायता राशि मिली।
लेखपाल साहब का बयान
“हमने उच्चाधिकारियों के आदेश पर सर्वे कर रिपोर्ट भेज दी है, देना न देना अब प्रशासन की मर्जी है।”
गर्मी की मार और अफसरशाही की चुप्पी
जब गाँव के गरीब गर्म हवाओं से जूझ रहे हैं, पशु-पक्षी तड़प रहे हैं, तब जिले के आला अधिकारी वातानुकूलित कमरों में बैठकर सिर्फ़ ‘जनसुनवाई’ की रस्म अदायगी कर रहे हैं। डीएम कार्यालय, सीडीओ, एसपी, सीएमओ, एसडीएम से लेकर तहसीलदार तक सभी एसी ऑफिस और गाड़ियों में कार्यरत हैं। ऐसे में आम गरीब ग्रामीण की चीखें शायद इन एसी की मोटी दीवारों से टकराकर लौट जाती हैं।
मुख्यमंत्री योगी जी से सवाल
क्या आपकी सरकार में यह व्यवस्था है कि आपदा का सर्वे तो हो, लेकिन सहायता “शून्य”? क्या संवेदनशील शासन-प्रशासन की यही तस्वीर है?
गाँव की स्थिति गंभीर
ग्राम चौपरिया में आज भी कई परिवार खुले आसमान के नीचे जीवन यापन कर रहे हैं। पशुओं के लिए पानी नहीं, किसानों के पास बोवाई के लिए बीज नहीं, और न ही किसी जनप्रतिनिधि की रुचि दिखती है।
👉 प्रशासन और सरकार से मांग है कि:
तात्कालिक सहायता राशि तत्काल प्रदान की जाए।
आपदा से प्रभावित सभी परिवारों की सूची सार्वजनिक की जाए।
अधिकारियों की जिम्मेदारी तय हो, लापरवाही पर कार्रवाई की जाए।
यही है गाँव की हकीकत, जो एसी में बैठे अधिकारी शायद महसूस नहीं कर सकते..